top of page

स्टीफन हॉकिंग - एक भौतिकवादी वैज्ञानिक

Writer's picture: Scientists for SocietyScientists for Society

Updated: Aug 29, 2020



आज विज्ञान का हर छात्र स्टीफन विलियम हॉकिंग के नाम से परीचित है | स्टीफन हॉकिंग महान भौतिक शास्त्री खगोलविद लेखक और विज्ञान के व्याख्याता के रूप में जाने जाते हैं | वे एक भौतिकवादी वैज्ञानिक थे जो लगातार विज्ञान को नई परिधि तक ले जाने में लगे रहे | इसी वर्ष 14 मार्च को हमेशा व्हील चेयर पर बैठे रहने वाले वह महान सख्श जिसके शारीर का कुछ हिस्सा ही काम करता था, के बाकि हिस्से ने भी काम करना बंद कर दिया, उन्होंने हमेशा के लिए हमें अलविदा कह दिया | इत्तेफाक से इसी दिन महान वैज्ञानिक अलबर्ट आइन्स्टीन का जन्मदिन भी है | दूसरे शब्दों में कहें तो इतिहास ने अपना एक दिन दो ऐसे महान एवं न्यायप्रिय वैज्ञानिकों के नाम कर दिया जिन्होंने अपनी पूरी जिंदगी ज्ञान को नए धरातल पर ले जाने में लगा दी एवं अब तक प्राप्त समूचे मानव ज्ञान को मानवता के लिए उपयोग करने की वकालत करते रहे | 

स्टीफन हॉकिंग का जन्म 8 जनवरी 1942 को इंग्लैंड के ऑक्सफ़ोर्ड में हुआ | यह एक ऐसा समय था जब विज्ञान ने कलासिकीय अवधारणा को पीछे छोड़ दिया था | नियत्त्ववाद (Determinism) और अज्ञेयवाद(agnostism) के द्वन्द्व से पदार्थ के सार एवं ब्रह्माण्ड के विकास को जानने की कोशिश की जा रही थी(नियतत्ववाद यह मानता है कि ब्रह्माण्ड और प्रकृति को पूर्ण रूप से जाना जा सकता है और इसका अंतिम लक्ष्य एक ऐसे सिद्धांत को खोजना है जो हर चीज़ को परिभाषित कर सके जबकि अज्ञेयवाद के अनुसार हर प्रेक्षक का अपना यथार्थ होता है और इसीलिए वास्तु के सार को या यथार्थ को कभी नहीं जाना जा सकता ) | एक तरफ अलबर्ट आइन्स्टीन , इरविन शोडिंगर जैसे वौज्ञानिक थे वहीं दूसरी तरफ थे बोर और हाईजनबर्ग | जहाँ अकादमिक क्षेत्र में बहसों और खोजों का सिलसिला जारी था वहीँ दूसरी ओर ये दुनिया मुनाफे की अंधी हवस और साम्राज्यवादी प्रतिस्पर्धा के कारण मानवता हिरोशिमा और नागासाकी के रूप में सबसे बड़ी तबाही देखने वाली थी |

युवा स्टीफन हॉकिंग

एक आम छात्र की तरह ही हॉकिंग ने भी स्कूली शिक्षा ग्रहण के बाद ऑक्सफ़ोर्ड विश्वविद्यालय में स्नातक किया जहाँ विज्ञान और ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति में उनकी रुचि बढ़ने लगी | इसके बाद कैंब्रिज विश्वविद्यालय में डाक्टरल करने के दौरान जब वे सापेक्षता के सिद्धांत पर कम कर रहे थे, तब मात्र 22 साल की उम्र में मोटर न्यूरॉन डिजीज़ ने उन्हें अपने पंजे मे जकर लिया जो एक-एक कर के पूरे शरीर को लकवाग्रस्त करने वाला था | इस कारण स्टीफन कुछ दिन के लिए अवसाद में चले गये | लेकिन उनकी विज्ञान की रूची अवसाद पर भारी पड़ी और जल्दी ही वो विज्ञान की दुनिया में लौट आये |

इसी समय खगोलशास्त्र में ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति को लेकर दो अवधारणाओं के बीच बड़ी बहस चल रही थी | एक खेमा 'स्टीडी स्टेट थ्योरी' के साथ था वहीँ दूसरा खेमा 'बिग बैंग थ्योरी' के साथ | स्टीडी स्टेट थ्योरी के अनुसार पदार्थ का घनत्व ब्रह्माण्ड के फैलने के बावजूद नहीं बदलता | ब्रह्माण्ड अपनी समसर्वत्रता(homogeneity) बरक़रार रखता है , जबकि बिग बैंग थ्योरी के अनुसार ब्रह्माण्ड की शुरुआत अनंत घनत्व और तापमान से हुई थी | इसके बाद ब्रह्माण्ड लगातार फ़ैल रहा है , लेकिन दोनों ही अवधारणाओं का कोई अवलोकन या गणितीय सूत्र नही प्रस्तुत किया गया था | स्टीफन हॉकिंग ने 1965 ने रोजर पेनरोज़ के ब्लैक होल के केंद्र के लिए अद्वैत के सिद्धन्त को पूरे ब्रह्माण्ड पर लागू कर के और फिर उनके साथ मिलकर दिक्-काल अद्वैत (space-time singularity) का सिद्धांत दिया और गणितीय सूत्र के जरिए बिग बैंग थ्योरी को सही साबित किया | अपने कम को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने 1970 में ये साबित किया कि अगर ब्रह्माण्ड सापेक्षता के सिद्धांत पर काम कर रही है तो वह अद्वैत के सिद्धांत और अलेक्स्जेंडर फ़्राईडमैन के फिजिकल कॉस्मोलोजी के सिद्धांत का भी पालन करती है |

दिक्-काल अद्वैत


1973 में रूसी यात्रा के दौरान वहां के दो वैज्ञानिकों याकोव बोरिसोविच ज़ेल्दोविच, एलेजी स्टारोबिन्सकी से हुए विमर्श ने हॉकिंग को क्वांटम मैकेनिक्स और क्वांटम ग्रेविटी पर काम करने को प्रेरित किया | इसी दौरान 1974 में हॉकिंग ने ब्लैक होल द्वारा विकिरण का पता लगाया जिसे 'हॉकिंग रेडिएशन' के नाम से जाना जाता है | ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति और गतिकी समझने के लिए हॉकिंग लगातार सैद्धांतिक भौतिकी के दो अंतर्विरोधी छोरों क्वांटम और सापेक्षिता के सिद्धांत को एक ही समीकरण द्वारा प्रतिपादित करने में लगे रहे जिसे उन्होंने 'थ्योरी ऑफ़ एवरीथिंग' कहा | हॉकिंग का योगदान सिर्फ गणितीय सूत्रों को हल करने या अकादमिक क्षेत्र तक सिमित नही था | उनका मानना था ज्ञान, विज्ञान, दर्शन कुछ लोगों के लिए नहीं बल्कि दुनिया के प्रत्येक व्यक्ति के जानने-समझने और चर्चा का विषय है | अपनी किताब 'अ ब्रीफ हिस्ट्री ऑफ़ टाइम' में वे कहते हैं -

"अगर हम ब्रह्माण्ड का एक पूर्ण सिद्धान्त खोज पायें तो वक्त के साथ इसके सामान्य तत्त्व सिर्फ कुछ वैज्ञानिकों के ही नही बल्कि प्रत्येक व्यक्ति के समझने लायक होने चाहिए, तब हम सब इस चर्चा में भाग ले सकेंगे की हम और ये ब्रह्माण्ड क्यों अस्तित्वमान हैं |"

यही कारण था कि हॉकिंग विज्ञान को और खास कर खगोलशास्त्र को जहाँ तक हो सके आसान भाषा में आम लोगों के बीच भी ले जा रहे थे | उन्होंने कई किताबें लिखीं जिनमे बच्चों के लिए अलग से आधे दर्जन फिक्शन किताबें भी शामिल हैं | इस कारण हॉकिंग दुनिया के तमाम छात्रों के बीच लोकप्रिय हुए | इसके साथ ही हॉकिंग तार्किकता और विज्ञान पर हो रहे दार्शनिक हमलों का भी जवाब देते रहे | सैद्धांतिक तौर पर गणितीय सूत्र तो खोजे जा रहे थे मगर उनकी व्याख्या भाववादी और अधिभूतवादी तरीके से की जा रही थी | ये व्याख्याएं वैज्ञानिक तर्क को अलग कर के ईश्वरीय सत्ता और निरपेक्ष सत्य की बात करती थी | स्टीफन लगातार ऐसी अवधारणाओं को ख़ारिज कर के भौतिकवादी व्याख्याएँ प्रस्तुत कर रहे थे | 1983 में हॉकिंग ने जिम हर्टले के साथ मिलकर हर्टले-हॉकिंग मॉडल प्रस्तावित किया | इसके अनुसार प्लैंक काल के पहले दिक्-काल में ब्रह्माण्ड की कोई सीमा नही थी, बिग बैंग के पहले काल की मौजूदगी ही नहीं थी | अतः ब्रह्माण्ड की शुरुआत यह निरपेक्ष सत्य की बात करना व्यर्थ है | इस सिद्धांत ने पुराने क्लासिकीय अद्वैत के सिद्धांत में बदलाव लाये जिसने भाववादी व्याख्या को करारा जवाब दिया | 1990 के बाद के समय का बड़ा हिस्सा हॉकिंग ने विज्ञान व्याख्याता के रूप में गुजरा | साथ ही विज्ञान के सैद्धान्तिक और दार्शनिक के पहलू पर भी काम करते रहे |

हॉकिंग राजनीतिक रूप से न्यायप्रिय इन्सान भी थे | कई वैज्ञानिकों की तरह वे साम्राज्यवादी युद्ध, हथियार और मानवता की हत्या के प्रखंड विरोधी थे | वियतनाम कत्लेआम हो या इराक युद्ध हो या फिर न्यूकिलियर हथियार, हॉकिंग ने कई मौकों पर इसका विरोध किया | सीरिया में किये गए कत्लेआम पर 'गौर्डियन' अख़बार में लिखे अपने लेख में हॉकिंग ने इसकी कड़ी आलोचना की | उन्हें उनकी मानवजाति की सेवा में अपना शत-प्रतिशत योगदान देने की कोशिश को नही भुलाया जा सकता पर उनकी दार्शनिक सीमायें भी थीं | वे द्वंवावात्मक भौतिकवादी पद्धति से परिचित नही हो सके | यही कारण था कि वे इस सड़ती व्यवस्था के विकल्प तक नही पहुँच सके | इंग्लॅण्ड में वे लेबर पार्टी के समर्थक थे जिसके नाम में लेबर है लेकिन सेवा पूंजीपतियों और धन पशुओं की ही करती है | हालाँकि अपने जीवन के आखरी समय में वे इस मुनाफाखोर व्यवस्था की जड़ तक पहुँच गये थे | उन्होंने 2015 में पूँजीवाद को सारी दिक्कतों की जड़ बताते हुए कहा था -

"अगर यांत्रिकी हमारी जरुरत के हर सामान उत्पन्न करता है तो नतीजा इस बात पर निर्भर करता है कि चीजों का बटवारा कैसे होता है | हर आदमी सुविधापूर्ण और फुरसत भरे क्षण तभी बिता सकता है जब मशीनों द्वारा पैदा किये गये संपदा को साझा किया जाये, नही तो ज्यादातर लोग आभाव में ही जियेंगे, अगर मालिकना हक कुछ लोगों के हाथ में हो | अगर ऐसा ही रहा तो यह तकनीक सिर्फ गैर बराबरी ही पैदा करेगी |"

इसके साथ ही ये मुनाफाखोर व्यवस्था के नुमाईन्दे जो लगातार मानवता को फंतासी जैसे आर्टिफिसियल इंटेलिजेंस और आसमानी दुनिया का डर दिखाकर अपनी सत्ता बचाने का कम कर रहे है, का भी स्टीफन हॉकिंग ने अपने आखरी सालों में प्रखर विरोध करते हुए कहा कि मानवता को मशीन से ज्यादा खतरा पूंजीवाद से है |

कुल मिला कर कहा जाये तो स्टीफन हॉकिंग ताउम्र शोशक व्यवस्था के खिलाफ़ रहे | हमेशा ही इस मुनाफाखोर व्यवस्था द्वारा जनित समस्याओं की मुखर आलोचना करते रहे | भौतिकी में भी जब नवकांटवादी तथा भाववादी चिन्तक व वैज्ञानिक इसे अज्ञेयवाद और भाववाद के गड्ढे ने ले जा रहे थे, वे भौतिकवादी चिंतन को आगे बढ़ाते रहे, वह भी उस दौर में जब बड़े-बड़े तर्कहीन दावे और लफ्फबाजियाँ की जा रहीं थीं | गणितीय समीकरणों की मनगढ़ंत व्याख्या की जा रही थी तब भी वो लगातार बहस में लगे रहे | उनको मृत्यु पूरे मानव समाज के लिए अपूरणीय क्षति है | आने वाले स्पार्क के किश्तों में हम स्टीफन हॉकिंग के विज्ञानं में अवदानो पर चर्चा करेंगे |

- आकाश आनंद

Comments


Scientists for Society
bottom of page